Бхагавад-гита как она есть В процессе << 18 - Заключение – Совершенство отречения >>
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बुद्ध्या विशुद्धया युक्तॊ धृत्यात्मानं नियम्य च शब्दादीन विषयांस तयक्त्वा रागद्वेषौ वयुदस्य च विविक्तसेवी लघ्वाशी यतवाक्कायमानसः धयानयॊगपरॊ नित्यं वैराग्यं समुपाश्रितः अहंकारं बलं दर्पं कामं करॊधं परिग्रहम विमुच्य निर्ममः शान्तॊ बरह्मभूयाय कल्पते
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